अतीक अहमद से मुख्तार अंसारी तक: 7 साल में यूपी पुलिस की हिरासत या जेल में 10 गैंगस्टरों की मौत – उत्तर प्रदेश पुलिस और जेल प्रशासन में अंधेरा बढ़ता ही जा रहा है, जब अतीक अहमद से मुख्तार अंसारी तक बदमाशों की मौत के गहरे सवाल उठ रहे हैं। सरकारी रिकॉर्ड्स के मुताबिक, पिछले सात वर्षों में यूपी पुलिस की हिरासत में या जेल में 10 गैंगस्टरों की मौत हुई है।
इस साल की शुरुआत में, लखनऊ जेल में हुई दो बदमाशों की मौत के बाद, इस मुद्दे पर सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ी है। यह घटनाएं सामान्य जनता में संवेदनशीलता का कारण बनी हैं और विपक्ष ने सरकार पर इसका सख्त आरोप लगाया है।
जनसंख्या के संरक्षकों और मानवाधिकार गठबंधन के अनुसार, ये मौतें एक सांविदानिक की हत्या के रूप में देखी जा सकती हैं, जबकि पुलिस और जेल अधिकारियों ने इसे सिर्फ व्यक्तिगत गलती के रूप में बताया है।
अभी हाल ही में, मुख्तार अंसारी के भाई आतिक अहमद की मौत के बाद, उनके परिवार ने यूपी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया है। उनके परिवार का कहना है कि अतीक को जेल में नहीं, बल्कि उनकी हिरासत में तानाशाही के तहत मारा गया।
पिछले सात वर्षों में हुई मौतों में शामिल नामों में अभिषेक बनेर्जी, बजरंग दल के प्रमुख, दयाशंकर यादव और विकास दुबे जैसे बड़े बदमाश भी हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले में गहरा जांच करने का वादा किया है, लेकिन विपक्ष इसे सिर्फ शब्दों की तरह देख रहा है और सरकार को कड़े कदम उठाने की आवश्यकता की मांग कर रहा है।
यहां यह खास उल्लेखनीय है कि इस तरह की मौतों के मामले में अक्सर सरकारी अधिकारी या पुलिसकर्मी शिकंजा में फंस जाते हैं, जब तक कि संज्ञान नहीं जाता कि कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है या नहीं।
इस मामले में जांच और न्याय के लिए सरकारी दबाव बनाए रहने के बावजूद, सामाजिक और राजनीतिक दलों ने यहां तक कहा है कि ऐसे मामलों में न्याय और संवेदनशीलता की पूरी सुरक्षा होनी चाहिए।
अब, यह देखना है कि क्या सरकार इस मामले में सख्त कार्रवाई करती है और न्याय की दिशा में ठोस कदम उठाती है या फिर यह घटना एक और अंधेरे कोने में गुम हो जाती है।