शाम का वक्त था जब मैं अपनी फूफी के घर पहुँचा। अब्बू ने एक महीने पहले बताया था कि फूफी के घर जाना है, और मैं बिना ज़्यादा पूछे ही तैयार हो गया था। लंबे समय बाद फूफी से मिलने का मौका मिल रहा था, तो दिल में खुशी थी। जैसे ही घर के अंदर कदम रखा, मुझे एहसास हुआ कि घर में किसी बड़े समारोह की तैयारी हो रही है। रंग-बिरंगी रोशनी, फूलों की महक, और हल्की-हल्की सी सजी सजावट देखकर मैंने सोचा कि शायद कोई छोटा-सा आयोजन है। लेकिन फूफी के घर की गर्मजोशी में कुछ और ही महसूस हो रहा था, एक अलग सा माहौल जो मुझे थोड़ा असहज कर रहा था।

मुलाकात सोफिया से

फूफी ने मेरा स्वागत बहुत प्यार से किया, और थोड़ी देर बाद चाय-नाश्ते का इंतज़ाम भी कर दिया। अभी मैं आराम से बैठा ही था कि दरवाज़े से एक लड़की अंदर आई। उसने हल्का गुलाबी रंग का सलवार-कुर्ता पहना हुआ था, आँखों में एक गहराई और चेहरा सादगी से भरा हुआ। वो सीधे फूफी के पास आई और उनसे कुछ बातें करने लगी।

फूफी ने हंसते हुए मेरी ओर इशारा किया और कहा, “सोफिया, ये तुम्हारे भाईजान का बेटा है, जो इतने सालों बाद हमें मिलने आया है।”

सोफिया ने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा, लेकिन उसकी मुस्कान में कुछ ऐसा था जो मेरे दिल को छू गया। उसकी आँखों में कुछ अनकहे सवाल और एक अजीब सी मिठास थी, जो मुझे उसकी तरफ खींच रही थी। हमने एक-दूसरे से हल्के से मुस्कुराकर सलाम किया, लेकिन उस पहली नज़र में ही मुझे लगा कि इस मुलाकात में कुछ ख़ास है।

पहली बातों का असर

शाम का वक्त बीतने लगा और रात के खाने के बाद सब लोग बातचीत में व्यस्त हो गए। इतने में, फूफी ने मुझे बुलाया और कहा, “तुम और सोफिया एक दूसरे के साथ वक़्त बिताओ। तुम दोनों को आपस में बातें करनी चाहिए।”

मैं थोड़ा हैरान हुआ, लेकिन सोफिया ने मुझे हल्की मुस्कान दी और हम दोनों आंगन में जाकर बैठ गए। वहाँ हल्की-हल्की ठंडी हवा चल रही थी, और माहौल में एक शांति थी। कुछ देर तक हम दोनों चुप रहे, लेकिन फिर उसने कहा, “आप इतने सालों बाद आए हो, घर में तो सब बहुत खुश हैं।”

“हाँ, सही कहा। फूफी को इतने अरसे बाद मिलकर अच्छा लगा,” मैंने जवाब दिया।

फिर धीरे-धीरे हम दोनों के बीच बातें शुरू होने लगीं। उसने अपनी पढ़ाई, शौक और अपने बारे में कई बातें साझा कीं, और मैं भी उसे अपने कॉलेज के दिनों के किस्से सुनाने लगा। धीरे-धीरे हमें एक-दूसरे की पसंद-नापसंद समझ आने लगी और महसूस हुआ कि हम दोनों में बहुत सी समानताएँ हैं।

अनकहे एहसास का आगाज़

रात जब मैं अपने कमरे में सोने के लिए गया तो सोफिया की बातें मेरे दिमाग में घूम रही थीं। उसकी हंसी, उसकी नज़रों में वो नज़ाकत, और उसके बोलने का तरीका सबकुछ मेरे दिल को अजीब सा सुकून दे रहा था। इसी सोच में कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला।

अगले दिन सुबह जब मैं नाश्ता कर रहा था, तो फूफी ने मुझे सोफिया के साथ बाज़ार से कुछ सामान लाने को कहा। हम दोनों साथ में बाज़ार गए। रास्ते में, उसने हल्के से मेरे हाथों को छुआ, और ये छूना किसी बिजली के झटके जैसा लगा। वो शर्माकर थोड़ा पीछे हो गई, और मैं भी हल्का मुस्कुराया। वो मुझसे बात तो कर रही थी, लेकिन उसकी नज़रों में एक अजीब सी झिझक थी।

“क्या हुआ सोफिया, तुम इतनी चुप क्यों हो?” मैंने धीरे से पूछा।

उसने हंसते हुए जवाब दिया, “कुछ नहीं, बस ऐसे ही। आपको देख कर अच्छा लग रहा है।”

उसकी इस छोटी सी बात में भी एक गहरा मतलब था, लेकिन उस वक्त मैं उसे समझ नहीं पाया। जब हम बाज़ार से लौटे तो अब्बू ने मुझसे कहा कि कुछ खास बात करनी है।

निकाह की अनजान तैयारी का रहस्य

रात को जब सभी लोग इकट्ठा थे, तो अब्बू ने अचानक ही मुझसे कहा, “बेटे, तुम और सोफिया पहले से ही एक-दूसरे के लिए मंगनी में बंध चुके हो। हमने तुम्हारे और सोफिया के निकाह का इरादा पहले ही कर लिया था, बस तुम्हें बताना बाकी था।”

उनकी इस बात से मैं बिल्कुल स्तब्ध रह गया। मेरी नज़रें तुरंत सोफिया की ओर गईं, और उसकी आँखों में मुझे वही एहसास दिखाई दिया, जो उसके दिल में छिपा था। मुझे समझ आ गया कि वो क्यों मेरे करीब आना चाह रही थी, और उसका हंसना-मुस्कुराना क्यों एक अनकही चाहत को बयां कर रहा था।

उस रात मेरे दिल में कई सवाल थे – क्या मैं सच में तैयार हूँ इस रिश्ते के लिए? लेकिन फिर सोफिया का चेहरा, उसकी मासूमियत और हमारे बीच का कनेक्शन मेरे दिल में जगह बना गया।

धीरे-धीरे पनपता प्यार

अगले कुछ दिन हम दोनों के बीच एक नए कनेक्शन की शुरुआत का समय था। मैं जब भी सोफिया को देखता, उसकी आँखों में एक विश्वास झलकता, जो मेरे लिए था। वो मुझसे खुलकर बातें करती, और उसकी हर बात में अब एक नया अंदाज़ था, एक अपनापन।

एक दिन हम दोनों घर के बाग़ में बैठे थे, और उसने कहा, “मुझे नहीं पता था कि हम दोनों का रिश्ता पहले से तय है। लेकिन अब मुझे लगता है कि ये अल्लाह की मर्ज़ी है।“

मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “और मुझे भी खुशी है कि तुम मेरे साथ हो। तुम्हारे साथ बिताए हर पल ने मेरे दिल में एक खास जगह बना ली है।”

एक रात का इज़हार

शादी की तैयारियाँ ज़ोरों पर थीं। एक रात, शादी की रस्मों से पहले हम दोनों अकेले छत पर बैठे थे। उसने धीमे से कहा, “क्या आपको यकीन है कि आप मुझसे मोहब्बत करते हो?”

मैंने उसकी आँखों में देखा और कहा, “हां, अब इस रिश्ते में कोई शक नहीं है। तुम्हारी मासूमियत और तुम्हारे प्यार ने मेरे दिल को जीत लिया है।”

उसकी आँखों में आँसू आ गए, और उसने मेरा हाथ थाम लिया। उस रात हमारे बीच अनकहे प्यार का इज़हार हो गया।

निकाह की सुबह

आखिरकार वो दिन आ गया, जब हम दोनों एक-दूसरे के हमसफर बनने वाले थे। निकाह के वक्त उसकी आँखों में एक चमक और सुकून था, और मेरे दिल में एक नई उम्मीद। हमने एक-दूसरे को कुबूल किया, और उस दिन से हमारी जिंदगी एक नए सफर पर चल पड़ी।

अंत में

हमारी मोहब्बत उस अनकहे इज़हार से शुरू हुई, और एक खूबसूरत रिश्ते में बदल गई। अब हम दोनों एक-दूसरे के साथ एक नए जीवन की शुरुआत कर चुके थे, और हर दिन हमारा प्यार और भी गहरा होता जा रहा था।