2024 लोकसभा चुनाव के नजदीक आते हुए, पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को संदेशखाली के रूप में बड़ा सियासी हथियार प्राप्त हुआ है। 2021 में हुए विधानसभा चुनाव से ही भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी को चुनौती दी थी, और इस मुद्दे को उन्होंने अच्छी तरह से भुनाया है। संदेशखाली के कारण, भारतीय जनता पार्टी फ्रंटफुट पर है, जबकि ममता बनर्जी की टीएमसी बैकफुट पर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नॉर्थ 24 परगना में बुधवार को एक जनसभा में ममता बनर्जी की सरकार पर हमला बोला। उन्होंने अपने भाषण के दौरान संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं को देखकर भावुकता जताई। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले दो महीने में संदेशखाली में हुए घटनाक्रमों से ममता बनर्जी के गढ़ में टीएमसी का किला हिल रहा है।
भारतीय राजनीति में पश्चिम बंगाल का महत्व बढ़ता जा रहा है, और इस राज्य में होने वाले चुनाव ने राजनीतिक दलों के लिए अभिनव मैदान उत्पन्न किया है। इससे पहले भी दोनों दलों के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली है, और इस बार भी यह चुनाव राजनीतिक दलों के बीच नई राजनीतिक दिशा तय कर सकता है।
इस तरह पीएम ने पहुंचाई TMC को चोट
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं के साथ एक संवेदनशील मुलाकात का वर्णन किया है। उन्होंने कहा कि वे महिलाओं का ध्यान रखेंगे और उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे। प्रधानमंत्री ने बताया कि कुछ बसें समय पर नहीं पहुंच पाईं थीं और इसकी वजह प्रोटोकॉल थी।
- मोदी ने ममता बनर्जी सरकार पर केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू न होने का आरोप लगाते हुए बताया कि कई महत्वपूर्ण योजनाएं जैसे कि महिला सुरक्षा, बेटी बचाओ-बेटी बढ़ाओ, उज्ज्वला योजना और सस्ते सिलेंडर की योजना संदेशखाली में अभी तक लागू नहीं हुईं हैं।
- वे ने संदेशखाली में गरीब आदिवासी महिलाओं पर अत्याचार के मामले उठाते हुए कहा कि बंगाल सरकार अत्याचारियों को बचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है, लेकिन संदेशखाली की महिलाओं का गुस्सा अब एक बड़ी समस्या बन चुका है। उन्होंने कहा कि टीएमसी के माफिया राज को ध्वस्त करने के लिए बंगाल की नारी शक्ति उत्साहित हो रही है।
इससे साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण के माध्यम से टीएमसी सरकार को चोट पहुंचाने का प्रयास किया है, और उन्होंने लोगों को उनकी समस्याओं के समाधान के लिए आश्वासन दिया है।
इस तरह बिगड़ता जा रहा TMC का खेल
संदेशखाली में टीएमसी नेता शाहजहां शेख के घर पर ईडी द्वारा छापेमारी करने के बाद, एक हमले का शिकार होने के बाद, वह फरार हो गए। इसके बाद, शाहजहां शेख के फरार होने के बाद, कई महिलाएं सामने आईं और उन्होंने उत्पीड़न और ज़मीन हड़पने का आरोप लगाया। इस मामले के बाद, बवाल और विवाद और तनाव बढ़ गए। बीजेपी इस मुद्दे पर प्रदर्शन करती रही, और इसे लेकर सार्वजनिक आंदोलन और राजनीतिक दबाव बढ़ा।
इस मामले में, महिलाओं के उत्पीड़न के मामले के बाद, 55 दिनों के बाद शाहजहां शेख को गिरफ्तार किया गया। यह घटना टीएमसी के लिए बड़ा झटका है, जिससे उनका खेल और उनकी आपात निदर्शन की बजाय बिगड़ता जा रहा है। यह घटना राजनीतिक दलों के बीच संघर्ष और तनाव को भी और बढ़ाएगा, खासकर बीजेपी और टीएमसी के बीच।
कोर्ट के आदेश पर जांच CBI को ट्रांसफर
ईडी टीम पर हुए हमले में जांच के लिए राज्य सरकार ने एसआईटी गठित की थी, लेकिन कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस केस को सीबीआई को ट्रांसफर करने का आदेश दे दिया. इस पर रोक लगाने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार बुधवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंची. सुनवाई के बाद में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.
कार्रवाई में लापरवाही से हो सकता है नुकसान
राजनीतिक एक्सपर्ट मानते हैं कि संदेशखाली पर गंभीर आरोपों से घिरे शाहजहां शेख पर कार्रवाई करने में हो रही लापरवाही से टीएमसी की इमेज इलाके में हल्की होती दिख रही है. पीड़ित महिलाओं के अंदर टीएमसी के खिलाफ गुस्सा नजर आ रहा है. बताया जा रहा है कि ममता बनर्जी एक खास वर्ग के वोट बैंक की वजह से शाहजहां शेख पर ठोस कार्रवाई करने से बच रही हैं.
BJP इस तरह दे रही टीएमसी को लगातार चुनौती
पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीट हैं, जिसमें 18 बीजेपी के पास हैं. जबकि 22 सीट टीएमसी और 2 सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. बीजेपी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के अंदर सिर्फ 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी, लेकिन 2019 में 16 सीटों का फायदा हुआ. अब जबकि संदेशखाली ने टीएमसी को बैकफुट पर ला दिया है तो माना जा रहा है कि बीजेपी इस चुनाव में टीएमसी का किला पूरी तरह से हिला सकती है.