“बीरबल की सूझ-बूझ: आधा दूध, आधा पानी”

JustBaazaar Editor

“बीरबल की सूझ-बूझ: आधा दूध, आधा पानी”

कहानी:

एक बार अकबर के दरबार में एक दूधवाला आया और बीरबल से शिकायत करने लगा, “जहाँपनाह, दरबार के सिपाही मुझसे मुफ्त में दूध लेते हैं और पैसे नहीं देते। जब मैंने पैसे माँगे तो उन्होंने मुझे धमकी दी और कहा कि अगर तुमने शिकायत की, तो तुम्हें सजा मिलेगी। अब मैं आपके न्याय के लिए आया हूँ।”

अकबर ने गुस्से में सिपाहियों को बुलाया और पूछा, “क्या तुम लोग इस दूधवाले से मुफ्त में दूध लेते हो?”

सिपाहियों ने तुरंत मना कर दिया और कहा, “जहाँपनाह, यह हम पर झूठा इल्जाम लगा रहा है। हमने कभी इसका दूध नहीं लिया।”

अब अकबर को समझ नहीं आया कि सच क्या है। तभी बीरबल ने मामले को हल करने का बीड़ा उठाया।

कहानी:

बीरबल ने दूधवाले से कहा, “कल दरबार में सबसे ताजा दूध लेकर आना।” अगले दिन दूधवाला ताजा दूध लेकर दरबार में हाज़िर हुआ। बीरबल ने दूध का बर्तन मंगवाया और अकबर के सामने रख दिया।

बीरबल ने सिपाहियों से कहा, “अब तुममें से हर कोई इस दूध का आधा हिस्सा पीकर दिखाओ।” सिपाही डर गए क्योंकि उन्हें पता था कि उन्होंने दूधवाले से सारा दूध पानी मिलाकर लिया था।

एक सिपाही ने बीरबल से कहा, “जहाँपनाह, हम ये दूध नहीं पी सकते।”

बीरबल ने हंसते हुए कहा, “क्यों नहीं? यह ताजा दूध है, इसे पीने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।”

सिपाहियों ने सिर झुका लिया और सच कबूल कर लिया।

अकबर ने सिपाहियों को फटकार लगाते हुए कहा, “तुम्हें दूधवाले से माफी मांगनी होगी और उसका पूरा भुगतान करना होगा।”

मोरल:

इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि झूठ को दबाया नहीं जा सकता। सच्चाई किसी न किसी रूप में सामने आ ही जाती है, और सही इंसान को हमेशा इंसाफ मिलता है।

इस प्रकार, बीरबल ने अपनी समझदारी और सूझ-बूझ से दूधवाले को न्याय दिलवाया और दरबार में सच्चाई की जीत हुई।