“बीरबल की समझदारी: सच्ची दौलत”
कहानी:
- एक दिन अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, सबसे सच्ची दौलत क्या है?”
- दरबारियों ने अपने-अपने जवाब दिए: “सोना,” “चांदी,” “हीरे-जवाहरात।”
- बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “जहाँपनाह, मैं कल इसका जवाब दूंगा।”
- अगले दिन बीरबल ने एक भिखारी को दरबार में बुलाया और उसे राजा की राजगद्दी पर बैठा दिया।
- दरबारी हैरान हो गए और अकबर ने गुस्से में कहा, “बीरबल, यह क्या मजाक है?”
- बीरबल ने कहा, “जहाँपनाह, यह भिखारी आज राजगद्दी पर बैठा है, पर उसकी असली दौलत तो उसकी संतुष्टि है, क्योंकि वह कम में भी खुश है।”
- फिर बीरबल ने अकबर से कहा, “जहाँपनाह, सच्ची दौलत वह है जो हमें भीतर से संतुष्ट करती है, न कि बाहरी चमक-धमक।”
- अकबर ने बीरबल की समझदारी को सराहा और कहा, “तुमने सही कहा, सच्ची दौलत संतोष है।”
मोरल:
सच्ची दौलत धन या संपत्ति में नहीं, बल्कि संतोष में होती है। जीवन में संतुष्टि ही असली खुशी देती है।
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