“बीरबल की समझदारी: सच्ची दौलत”

कहानी:

  1. एक दिन अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, सबसे सच्ची दौलत क्या है?”
  2. दरबारियों ने अपने-अपने जवाब दिए: “सोना,” “चांदी,” “हीरे-जवाहरात।”
  3. बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “जहाँपनाह, मैं कल इसका जवाब दूंगा।”
  4. अगले दिन बीरबल ने एक भिखारी को दरबार में बुलाया और उसे राजा की राजगद्दी पर बैठा दिया।
  5. दरबारी हैरान हो गए और अकबर ने गुस्से में कहा, “बीरबल, यह क्या मजाक है?”
  6. बीरबल ने कहा, “जहाँपनाह, यह भिखारी आज राजगद्दी पर बैठा है, पर उसकी असली दौलत तो उसकी संतुष्टि है, क्योंकि वह कम में भी खुश है।”
  7. फिर बीरबल ने अकबर से कहा, “जहाँपनाह, सच्ची दौलत वह है जो हमें भीतर से संतुष्ट करती है, न कि बाहरी चमक-धमक।”
  8. अकबर ने बीरबल की समझदारी को सराहा और कहा, “तुमने सही कहा, सच्ची दौलत संतोष है।”

मोरल:

सच्ची दौलत धन या संपत्ति में नहीं, बल्कि संतोष में होती है। जीवन में संतुष्टि ही असली खुशी देती है।