- ट्रंप का असली चेहरा:
ट्रंप सिर्फ़ अमेरिका के राष्ट्रपति नहीं, बल्कि एक इंडस्ट्रियलिस्ट की तरह काम कर रहे हैं। अमेरिका की सत्ता उनके लिए बिजनेस टूल बन चुकी है। - यूक्रेन का खज़ाना:
यूक्रेन के पास 12 ट्रिलियन पाउंड के दुर्लभ मिनरल्स हैं, जो पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाते हैं। - ट्रंप का बड़ा ऑफर:
ट्रंप ने जेलेंस्की से कहा – “मुझे तुम्हारे मिनरल्स की हिफाज़त करने दो, बदले में मैं तुम्हारी सैन्य और आर्थिक मदद करूंगा।” - डेमोक्रेसी का बहाना:
ट्रंप ने जेलेंस्की को धमकी दी कि अगर वह मिनरल्स देने से इंकार करता है, तो अमेरिका यूक्रेन में चुनाव करवाने का दबाव बनाएगा और उसे सत्ता से हटवा सकता है। - रूस का कब्ज़ा:
यूक्रेन के सबसे मिनरल-रिच हिस्सों पर रूस पहले ही कब्ज़ा कर चुका है। अब बचे हुए हिस्सों पर ट्रंप की नज़र है। - अमेरिका vs चीन की जंग:
चीन दुनिया में सबसे ज़्यादा रेयर अर्थ मिनरल्स का उत्पादन करता है और अमेरिका उसकी सप्लाई पर निर्भर है। ट्रंप इस निर्भरता को खत्म करना चाहते हैं। - ग्रीनलैंड का प्लान फेल:
पहले ट्रंप ग्रीनलैंड को खरीदकर मिनरल्स पर कब्ज़ा करना चाहते थे, लेकिन यूरोपियन यूनियन ने इसे रोक दिया। अब यूक्रेन ही उनका अगला टारगेट है। - पुतिन की चाल:
पुतिन ने ट्रंप को ताना मारते हुए कहा – “तुम सुरक्षा खरीद रहे हो या मिनरल्स लूट रहे हो?” रूस पहले ही आधे से ज़्यादा मिनरल्स पर कब्ज़ा कर चुका है। - यूएई में सीक्रेट मीटिंग?
ट्रंप और पुतिन के बीच गुप्त वार्ता की योजना बन रही है, जहां रूस-यूक्रेन युद्ध के सौदेबाज़ी की उम्मीद है। - भविष्य की रणनीति:
जियोपॉलिटिक्स में बड़ा उलटफेर संभव है। अमेरिका-रूस-यूक्रेन-चीन के इस गेम में अब आगे क्या होगा, यह देखना दिलचस्प रहेगा।
🚨 ध्यान दें: ट्रंप का असली एजेंडा यूक्रेन की मदद नहीं, बल्कि वहां के मिनरल्स पर कब्ज़ा जमाना है। अब देखना होगा कि जेलेंस्की किसके साथ जाता है – अमेरिका या रूस?