टाइगर कंट्री’ पीलीभीत में बीजेपी के गांधी के बिना चुनावी युद्ध का संघर्ष
पीलीभीत, उत्तर प्रदेश: लंबे समय तक बीजेपी की शक्तिशाली धुरंधर गांधी परिवार के स्वामित्व में रहने वाले पीलीभीत क्षेत्र में अब एक नया चेहरा चुनावी मैदान में उतर रहा है। लंबे समय से पीलीभीत क्षेत्र में गांधी परिवार की अधिकारी सत्ता का अधिकार रहा है, लेकिन इस बार बीजेपी ने इसे चुनावी युद्ध के लिए तैयार किया है।
परिवर्तन का एक प्रमुख कारण यह है कि बीजेपी ने इस बार गांधी परिवार के विरुद्ध अग्रसर होने का मौका देखा है। प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ निलंबन के मामले में सीबीआई के जुर्माने के बाद, बीजेपी को इस बार के चुनाव में गांधी परिवार की उपस्थिति को लेकर कोई चिंता नहीं है।
पीलीभीत क्षेत्र जिसे ‘टाइगर कंट्री’ कहा जाता है, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित है और यहां की वन्यजीव धरती पर सवारियों को आकर्षित करती है। यहां के निवासियों के बीच बीजेपी की प्रभावशाली पक्षपाती छवि तथा गांधी परिवार की पसंदीदा उपस्थिति के बीच चुनावी लड़ाई की तालमेल हमेशा सुर्खियों में रहती है।
इस बार की चुनावी लड़ाई में बीजेपी ने प्रमुख विपक्षी पार्टियों के साथ एकजुटता का दिखावा किया है और वह गांधी परिवार के अभाव में अपने उम्मीदवारों को मजबूत कर रही है।
इस बार की चुनावी यात्रा में बीजेपी ने उम्मीदवारों का चयन बड़े सावधानी से किया है, ताकि वह गांधी परिवार के विरुद्ध उम्मीदवारों को बाज़ी में नहीं चोट पहुंचा सकें। इस बार की चुनावी लड़ाई में बीजेपी को गांधी परिवार के अभाव में बड़ा मौका मिला है, जो उसे पीलीभीत क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने का मौका दे सकता है।
इस बार की चुनावी युद्ध में बीजेपी की अनुमोदना तेजी से बढ़ रही है, जिससे वह गांधी परिवार के अधिकार को चुनावी रणनीति के माध्यम से अच्छी तरह से उपेक्षित कर सकती है।
पीलीभीत क्षेत्र में अब देखने को होगा कि बीजेपी की नई चुनावी रणनीति कैसे गांधी परिवार के अभाव में फायदेमंद साबित होती है या फिर क्या गांधी परिवार के बिना बीजेपी को इस बार कोई अच्छा परिणाम नहीं मिल पाएगा।