रात के करीब दस बजे, सरोज घर लौटी तो चेहरे पर अजीब-सी चमक थी। जैसे कोई बहुमूल्य खजाना पा लिया हो। “मिल गया! मिल गया!” उसकी ये खुशी भरी चीख सुनकर उसकी माँ, कुसुम, जो बिस्तर पर लेटी थी, चौंककर बैठ गई। “क्या पा लिया री? क्या हो गया तुझे?” माँ ने संदेहभरी आवाज़ में…