पूरा लेख दो हिस्सों पर आधारित है –
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टी राजा सिंह का इस्तीफा और भाजपा की राजनीति में भूचाल।
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हकीम सलाहउद्दीन कांड: हिंदू समाज के लिए एक चेतावनी।
🔥 भूमिका – जब जमीन से जुड़े नेता छोड़ने लगते हैं…
Guruji, आज हम उस मोड़ पर खड़े हैं जहाँ जो नेता सच बोलते हैं, जो ज़मीन पर लड़ते हैं, जो बिना सुरक्षा के अपने धर्म के लिए जान जोखिम में डालते हैं — वो खुद पार्टी से बाहर कर दिए जाते हैं।
टी राजा सिंह कोई साधारण नेता नहीं हैं। ये वही नेता हैं जो तब भी जीतते रहे जब पूरी दक्षिण भारत की ज़मीन पर भाजपा का नामलेवा भी नहीं था। उन्होंने अपनी ताकत, अपने जनाधार और अपने साहस से वो ज़मीन तैयार की थी जिसे आज पार्टी भुला रही है।
🧱 टी राजा सिंह का इस्तीफा – क्या हुआ, कैसे हुआ?
टी राजा सिंह ने खुद अपने वीडियो में कहा –
“हमने 2014 में आपके ही हाथों से पार्टी ज्वाइन की थी, और आज आपके ही हाथों में इस्तीफा सौंप रहे हैं।”
ये शब्द दर्द से भरे हैं।
दिल्ली में नेतृत्व बदला, दक्षिण की राजनीति में नए फैसले लिए गए, और टी राजा सिंह जैसे जमीनी नेता की बात ही नहीं सुनी गई। और फिर उन्होंने साफ शब्दों में पार्टी से नाता तोड़ लिया।
सवाल ये है – क्यों?
क्योंकि पार्टी में मोनोपॉली हावी हो चुकी है। एक ही धारा की बातें चल रही हैं, बाकी आवाजें दबा दी जा रही हैं।
⚔️ ज़मीन पर जो लड़ता है, उसे हटाया जाता है!
इतिहास गवाह है —
जब भी हिंदू समाज सत्ता में आता है, वो जमीन पर लड़ने वालों को सबसे पहले किनारे करता है।
टी राजा सिंह वो शख्स हैं जिन्होंने अपने दम पर गायों को मुस्लिम इलाकों से छुड़ाया। जो बाइक पर बैठकर संवेदनशील क्षेत्रों में पहुंचे। जो बकरी ईद पर खुलेआम नंदी कटते देख कर LIVE जाकर आवाज़ उठाते हैं।
और वही व्यक्ति आज भाजपा से इस्तीफा दे रहा है। क्यों?
क्योंकि दिल्ली की सत्ता को अब ऐसे सच्चे सिपाहियों की ज़रूरत नहीं रही।
🧠 सोशल मीडिया का ब्रेनवॉश – असली खतरा
आज सोशल मीडिया पर यह ट्रेंड चलाया जाता है –
“आपके नेता के बच्चे विदेश में पढ़ रहे हैं और आपको लाठी पकड़ाकर धरना दिलवा रहे हैं।”
यह बात सही भी लगती है जब हम हकीम सलाहउद्दीन जैसे लोगों की सच्चाई देखते हैं।
हकीम सलाहउद्दीन की बेटी नॉर्वे में पढ़ रही है। दूसरी बेटी बड़े इंटरनेशनल कॉलेज में।
और उसके घर से 3000 हथियार और 5000 कारतूस बरामद होते हैं, वो भी मुहर्रम से ठीक पहले!
क्या ये इत्तेफाक है? या फिर कोई संगठित षड्यंत्र?
🚨 हकीम सलाहउद्दीन कांड – भारत में गजवा-ए-हिंद की तैयारी?
लखनऊ के मलीहाबाद थाना क्षेत्र से महज़ 100 मीटर दूर इस हथियारों का जखीरा मिला।
अब आप सोचिए – ये सब अगर मुहर्रम के समय किसी नापाक इरादे से हो रहा हो तो?
20 बोरों में भरे 5000 कारतूस — ये कोई मज़ाक नहीं है।
यह घटना हिंदू समाज के लिए चेतावनी है कि –
“जब वो 15 मिनट की बात करते हैं कि पुलिस हटा लो, तो ये उसी तैयारी का हिस्सा है।”
और अफ़सोस इस बात का है कि हिंदू समाज अभी भी इन बातों को मज़ाक में ले रहा है।
🛑 रैंडम सेना और राजा सिंह – एक ही कहानी
रैंडम सेना नाम का ट्विटर हैंडल — जिसने सोशल मीडिया पर हिंदू विरोधियों को बेनकाब किया — अचानक सस्पेंड हो गया।
और ठीक इसके बाद ही टी राजा सिंह का इस्तीफा आता है।
क्या ये मात्र संयोग है?
या फिर ये संकेत है कि अब अपने ही लोगों की आवाज़ को दबाया जा रहा है?
🙏 राजा सिंह को क्यों डर नहीं लगता?
जब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की धज्जियाँ उड़ रही हों, जब खुलेआम गायों को काटा जा रहा हो, जब अनपढ़ भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया जा रहा हो — तब राजा सिंह जैसे लोग ही होते हैं जो बिना किसी सुरक्षा के जाकर खड़े होते हैं।
वो जानते हैं कि जान को खतरा है, फिर भी रुकते नहीं।
लेकिन क्या पार्टी में उनके जैसे लोगों की अब कोई जगह बची है?
🎯 सवाल ये नहीं कि इस्तीफा क्यों दिया…
सवाल ये है कि जब एक राजा सिंह पार्टी छोड़ देता है, तो हिंदू समाज की आवाज़ कौन बनेगा?
जब जमीनी लोग पार्टी से बाहर होंगे तो क्या सिर्फ एसी में बैठने वाले, ट्विटर चलाने वाले लोग ही हिंदू समाज की रक्षा करेंगे?
🧨 अगर साउथ में भाजपा को आगे बढ़ना है…
तो उसे याद रखना होगा –
राजा सिंह कोई साधारण कार्यकर्ता नहीं थे। वो तो विधानसभा के पहले भाजपा की ज़मीन तैयार कर चुके थे।
उनके इस्तीफे से साउथ की राजनीति को झटका लगेगा — ये तय है।
🕵️ हथियारों का जखीरा – क्या सिर्फ शुरुआत है?
आज उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार है इसलिए एक्शन हो गया।
पर सोचिए – अगर ये सपा की सरकार होती?
और पश्चिम बंगाल की बात करें तो — वहाँ तो बांग्लादेश बन चुका है।
वहाँ के मदरसों, मस्जिदों में कौन-कौन से सलाहउद्दीन बैठे हैं, कोई नहीं जानता।
📢 अंतिम विचार – जागिए, अब भी समय है
हिंदू समाज को अब एकजुट होकर अपने सच्चे सिपाहियों की पहचान करनी होगी।
टी राजा सिंह कोई कट्टरपंथी नहीं हैं, वो हमारी सुरक्षा की पहली लाइन हैं।
उन्हें बाहर निकालना मतलब खुद को असुरक्षित करना है।
अगर आज नहीं चेते, तो कल सोशल मीडिया की “रील्स” में उलझा समाज सिर्फ अपनी बर्बादी का तमाशा देखता रह जाएगा।
📣 आपको क्या लगता है?
क्या टी राजा सिंह का इस्तीफा सही कदम था?
क्या भाजपा को ऐसे नेताओं की ज़रूरत नहीं?
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जय सनातन। वंदे मातरम।