केरल में CAA के साथ खुली पड़ी छेद, लेकिन कॉंग्रेस, न BJP, उसका मुख्य लक्ष्य क्यों?

त्रिवेंद्रम: केरल के राजनीतिक समीकरण में एक बड़ा रुझान देखा गया है, जहां राज्य के विपक्ष में सहायक भूमिका खोलने का प्रयास लिया जा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर विवादों के बाद, बड़े समूह अब इसे राजनीतिक अंग के रूप में उपयोग कर रहे हैं। इस बदलते समय में दिखाई देने वाला एक अद्भुत पहलू है कि वामपंथी दलों का मुख्य लक्ष्य कॉंग्रेस है, न कि बीजेपी।

केरल में CAA के साथ खुली पड़ी छेद, लेकिन कॉंग्रेस, न BJP, उसका मुख्य लक्ष्य क्यों?

केरल में वामपंथी दलों की चेतावनी और विरोध के खिलाफ विपक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण हो रही है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, वामपंथी दलों ने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसमें सबसे प्रमुख विषय राज्य में अलगाववाद और CAA का है।

लेकिन इस सबके बावजूद, इस रूझान का सबसे बड़ा चौंकाने वाला पहलू है कि कॉंग्रेस इसका प्रमुख लक्ष्य बन गई है, न कि बीजेपी। क्या इसके पीछे कोई रणनीति है, या फिर यह एक राजनीतिक खेल है, यह सवाल अब बड़े पैमाने पर उठ रहा है।

विपक्षी दलों की एक बड़ी बैठक में, इस मुद्दे पर चर्चा की गई और विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने धार्मिक और सामाजिक आधारों पर इसे वामपंथी दलों के खिलाफ उपयोग करने का प्रस्ताव दिया।

केरल के राजनीतिक विश्लेषक श्री आनंद कुमार ने कहा, “इस समय केरल में CAA और अलगाववाद के खिलाफ उपयुक्त रूझान है। वामपंथी दलों ने इसे राजनीतिक अंग के रूप में उपयोग करने का फैसला किया है, लेकिन वह इसे कॉंग्रेस को लक्ष्य बनाने के लिए क्यों नहीं उपयोग कर रहे हैं, यह आश्चर्यजनक है।”

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वामपंथी दलों की रणनीति के पीछे का कारण यह हो सकता है कि वे कॉंग्रेस को राजनीतिक व्यक्तित्व के रूप में बचाने की कोशिश कर रहे हैं। कुछ अन्य लोगों का मानना है कि यह उनकी चाल है ताकि वे बीजेपी के विरुद्ध एक मजबूत विपक्षी दल के रूप में उभर सकें।

अब, इस नए राजनीतिक रुझान में कैसे आगे बढ़ते हैं, यह देखने के लिए समय ही बताएगा। लेकिन यह निश्चित है कि केरल की राजनीतिक समीक्षा में एक नई दिशा देखने की उम्मीदें बढ़ चुकी हैं।

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