संदेशखाली में आरोपों का एक सिलसिला और विवादित घटनाओं ने ट्रिनमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार को एक असहज स्थिति में धकेल दिया, जिसके परिणामस्वरूप उनके नेता शेख शहजहाँ की गिरफ्तारी हुई। इसका मुख्य कारण कोलकाता उच्च न्यायालय का वह निर्णय था, जिसमें केंद्रीय एजेंसियों को शहजहाँ की गिरफ्तारी की अनुमति दी गई। इस निर्णय के तुरंत बाद, पश्चिम बंगाल पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया, जो पिछले 55 दिनों से फरार थे।

संदेशखाली ने कैसे टीएमसी को मजबूर किया Why Sandeshkhali forced usually defiant TMC into a corner

इससे पहले के मामलों में, जहाँ केंद्रीय एजेंसियों ने उच्च न्यायालय के मामले को अपने हाथों में लेने के बाद गिरफ्तारी की थी, यह एक नई प्रवृत्ति का संकेत देता है।

संदेशखाली में आंदोलन की शुरुआत तब हुई जब महिलाओं ने टीएमसी नेताओं द्वारा वर्षों से कथित यौन शोषण के खिलाफ मार्च निकाला। इस बीच, आदिवासी समुदायों के परिवारों की जमीन को जबरन मछली पालन के लिए लिया जाने के आरोप भी सामने आए।

शुरुआत में, टीएमसी ने इन आरोपों को इंकार किया और इसे भाजपा की साजिश बताया। हालाँकि, जैसे-जैसे अधिक महिलाएँ आगे आईं, पुलिस ने अपना रुख बदला और शिकायतें दर्ज कीं।

एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, टीएमसी को झटका तब लगा जब महिलाओं ने शहजहाँ के सहयोगियों और टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी के बाद भी विरोध जारी रखा। इससे पार्टी की महिला वोट बैंक में नुकसान होने का खतरा पैदा हो गया।

विपक्षी दलों ने इस गिरफ्तारी को अपने सतत विरोध का परिणाम बताया, जबकि टीएमसी और राज्य पुलिस ने उच्च न्यायालय की अड़चनों का हवाला दिया। इस घटना ने टीएमसी के लिए राजनीतिक और सामाजिक चुनौतियों का एक नया सेट पेश किया है।