बिहार सरकार ने अपने सर्वोच्च संस्थान को महिला शक्ति और धर्म के प्रतीक के रूप में स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस महत्वपूर्ण कदम के तहत, बिहार सरकार ने सीतामढ़ी जिले में 50 एकड़ जमीन अधिग्रहित की है, जहां पर सीता मंदिर की निर्माण के लिए योजना बनाई गई है।
इस स्थल का चयन करते हुए, सीतामढ़ी के प्राचीन समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को मजबूती से देखा गया है। सीता मंदिर के निर्माण से, यह क्षेत्र धार्मिक परंपरा को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यटन के क्षेत्र में भी एक नई ऊर्जा और संभावनाएं प्रदान करेगा।
बिहार के मुख्यमंत्री ने इस पहल पर बात करते हुए कहा, “सीता मंदिर के निर्माण से हमारा लक्ष्य न केवल एक आध्यात्मिक स्थल को स्थापित करना है, बल्कि हमारा उद्देश्य इस स्थान को पर्यटन के दृष्टिकोण से भी प्रसिद्ध करना है।” उन्होंने इसे एक “सांस्कृतिक मंच” के रूप में भी देखा।
यह स्थान भगवान राम, माता सीता, और लक्ष्मण द्वारा निवास किया गया था, जो रामायण के अनुसार एक प्रमुख धार्मिक कथा है। इस सम्बन्ध में, इस मंदिर का निर्माण भारतीय सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करेगा और लोगों को धार्मिक और पर्यटन दोनों के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करेगा।
इस अधिग्रहण के बाद, बिहार के पर्यटन और धार्मिक तंत्र ने सीतामढ़ी क्षेत्र को पर्यटन के माध्यम से और अधिक प्रसिद्ध करने की योजना बनाई है। इसके अलावा, स्थानीय आवासीय और व्यावसायिक समुदाय को नौकरी के अवसरों का भी लाभ मिलेगा।
यह निर्णय न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्थानीय आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। सीतामढ़ी में सीता मंदिर के निर्माण से, राज्य के पर्यटन क्षेत्र में एक नया पैमाना स्थापित होगा, जो क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देगा।
इस स्थल के विकास में सहायता करने के लिए, सरकार ने स्थानीय आवासीय और व्यावसायिक समुदाय के साथ साझेदारी की है, ताकि इस प्रकल्प से स्थानीय लोगों को सीधे लाभ मिल सके।
इस प्रकार, बिहार सरकार ने सीतामढ़ी में सीता मंदिर की अधिग्रहण के माध्यम से धार्मिक परंपरा को समृद्ध करने के साथ-साथ पर्यटन और स्थानीय आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है।