मोदी सरकार ने CAA की रेखा को समायोजित किया: NRC का उल्लेख नहीं, क़ानून को ‘सताये हुए हिंदुओं’ के लिए ‘न्याय’ का माध्यम बनाया
भारतीय संघर्ष के निदान क़ानून (CAA) को लेकर सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए बिना किसी राजनीतिक अश्लीलता के, इसे नागरिकता संशोधन कानून के रूप में समायोजित कर दिया है। इसके साथ ही, सरकार ने एनआरसी (NRC) का कोई उल्लेख नहीं किया है और CAA को ‘सताये हुए हिंदुओं’ के लिए ‘न्याय’ का माध्यम बताया है।
मोदी सरकार ने स्पष्ट किया कि इस नए रूप में, CAA का मकसद ‘सताये हुए और प्रताड़ित हिंदुओं’ को न्याय देना है, जो अपने धर्मान्तरण के कारण पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से भारत आए हैं। इसमें किसी भी अन्य समुदाय की उल्लेख नहीं है, जैसा कि पिछले संस्करण में था।
इस बदलाव के साथ, सरकार ने एनआरसी को छोड़ दिया है, जो अब भी क़ानून की धारा के हिस्से में नहीं है। एनआरसी पिछले साल सर्वोच्च अदालत ने स्वीकार किया था, लेकिन इसके प्रयोग की तारीख अभी तक स्पष्ट नहीं है।
प्रमुख मंत्री नरेंद्र मोदी की इस सरकार की एक उपभोक्ता ने कहा, “हमारे लिए CAA एक न्याय का माध्यम है, जो सताये हुए हिंदुओं को भारत में स्वतंत्रता और सुरक्षा प्रदान करता है। हम इसे एक धार्मिक या धार्मिक बैचन के रूप में नहीं देखते, बल्कि एक न्याय के प्रतीक के रूप में जिसे आवश्यकता है।”
यह नई प्रस्तावित रूप में CAA को लेकर सरकार की स्पष्टता और उसकी राजनीतिक साजिशों के खिलाफ कड़ा कदम साबित हो सकता है। इसके अलावा, एनआरसी के अभाव में इसका प्रभाव कितना होगा, यह भी समय ही दिखाएगा।
यह सुनिश्चित किया गया है कि इस नए रूप में CAA के प्रयोजन को समझा जाए और इसे न्याय के लिए एक माध्यम के रूप में स्वीकार किया जाए, जो समाज में विभाजन को कम कर सकता है।
Related posts:








