विश्व में एक बार फिर ईरान और इजराइल के बीच तनाव बढ़ रहा है, और इसका सीधा प्रभाव भारत के तेल व्यापार पर पड़ने का खतरा है। दुनिया के दो बड़े तेल निर्यातकों में से एक, ईरान के साथ ही भारत के लिए इस महत्वपूर्ण संघर्ष का सीधा असर हो सकता है।
इस संघर्ष की मूल कारण ईरान के एक तांडवी उत्तराधिकारी का इजराइल के नेतृत्व और अमेरिका के साथ घातक संघर्ष में बाढ़त के रूप में देखा जा रहा है। इस वार के पीछे की वजह इजराइल की स्वार्थपरता हो सकती है जो ईरान के परमाणु कार्यक्षेत्र के विस्तार के खिलाफ है।
यह तनाव भारत के लिए विशेष रूप से चिंताजनक है क्योंकि भारत ईरान का एक प्रमुख तेल आपूर्तिकर्ता है और यहां से आयात किए गए तेल का प्रमुख हिस्सा उसकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है।
इस संघर्ष के चलते भारत के तेल आपूर्ति संबंधित बाजारों में अनिश्चितता का सामना कर सकता है। यदि ईरान-इजराइल तनाव में वृद्धि होती है, तो ईरान की तेल उत्पादन और निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया जा सकता है, जो भारत के लिए एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
इस चुनौती का सामना करने के लिए, भारत को अल्टरनेटिव तेल आपूर्ति स्रोतों की खोज करनी होगी जिससे उसका तेल व्यापार प्रभावित न रहे। साथ ही, भारत को राष्ट्रीय स्तर पर अपने ऊर्जा संसाधनों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है ताकि वह ऐसे संघर्षों के प्रभाव से कम आसानी से निपट सके।
अब तक, भारत ने अपनी तेल आपूर्ति में सुरक्षितता के लिए विभिन्न स्रोतों का अनुसरण किया है, लेकिन इस नई साइकल ऑफ तनाव के बारे में विचार किया जा रहा है कि कैसे भारत अपने तेल व्यापार को बचाए।
इस नजरिए से, भारत की सरकार को सकारात्मक और सतर्क दृष्टिकोण बनाए रखने की जरूरत है जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा को किसी भी अचानक तंगी का सामना करने की क्षमता मिले।