नमस्ते मित्रों,
मैं तांडवाचार्य Sunīl Chaudhari… और आज बात सीधी, कड़वी और सच्ची करने वाला हूँ।**
आज मैं किसी फ़िल्म का रिव्यू नहीं लिख रहा…
आज मैं एक आदत, एक नैरेटिव, एक पीढ़ियों से चली आ रही बीमारी के खिलाफ लिख रहा हूँ।
और इस बीमारी का ताज़ा केस है — ऋतिक रोशन।
हाँ वही ऋतिक…
जो बोलते हैं —
“I love the film… but I disagree with the politics.”
अब ज़रा सोचिए — पाकिस्तान के टेररिज़्म को दिखाना पॉलिटिक्स कब हो गया?
2611 के हमलावरों की ऑडियो टेप सुनाना पॉलिटिक्स कब हो गया?
आईएसआई की कोवर्ट ऑपरेशन्स दिखाना पॉलिटिक्स कब हो गया?
अरे हकीकत दिखाना पॉलिटिक्स नहीं है,
लेकिन हकीकत से भागना… यह है बॉलीवुड की पुरानी बीमारी।
🔥 ऋतिक की “I disagree” पोस्ट और उसके पीछे का पूरा खेल
चलो साफ़-साफ़ बात करते हैं।
ऋतिक ने रात को पोस्ट डाली —
Film is good BUT…
Politics is bad.
सुबह आलोचना हुई तो नई पोस्ट चिपका दी —
“I meant only performance… waiting for part 2.”
गुरुजी कहूँगा, यह मासूमियत नहीं है…
यह एक सीखा हुआ डर, एक कंडीशनिंग है।
और इसके तीन सीधे कारण हैं:
1️⃣ कारण — उनका पूरा सामाजिक सर्कल
जब आपकी गर्लफ्रेंड अल्ट्रा-लेफ्ट, इस्लामिस्ट नैरेटिव का हिस्सा हो…
जब वह JNU और CAA प्रोटेस्ट में वही पुराना पाकिस्तान-विक्टिम कार्ड खेले…
तो आपकी सोच पर असर पड़ता ही है।
बुराई रिश्तों में नहीं होती…
बुराई उस वैचारिक चश्मे में होती है जिसके पीछे से आप हर चीज़ देखते हैं।
2️⃣ कारण — बॉलीवुड की पुरानी गुलामी
बॉलीवुड दशकों से पाकिस्तान को “सॉफ्ट, पीड़ित, मासूम” दिखाता आया है।
इंडियन एजेंट — Emotional
Pakistani Spy — Charming
भारत — Aggressor
पाकिस्तान — Victim
और ऋतिक इस मशीन के “Proud Product” रहे हैं।
फिज़ा में उन्होंने टेररिस्ट को almost सफेद दिखाया।
Mission Kashmir में भी सरकार-विरोधी नैरेटिव को “Heroic Pain” में दिखाया गया।
जब दशकों तक आपको यही Roles मिलें…
तो “धुरंधर” जैसी अनकम्प्रोमाइजिंग फिल्म चुभेगी ही।
3️⃣ कारण — अनजानी लेकिन बेहद गंभीर बात
ऋतिक जिन पाकिस्तानी-ओरिजिन इवेंट मैनेजर्स के साथ विदेशों में शो कर चुके हैं…
उनमें कई ISI-linked & India-blacklisted नाम निकल चुके हैं।
क्या ऋतिक को पता था?
शायद नहीं।
पर क्या यह चिंता का विषय है?
हां। बहुत ज़्यादा।
क्योंकि पैसा सिर्फ शो नहीं चलाता…
पैसा नैरेटिव भी चलाता है।
**🔥 लेकिन ऋतिक की सबसे बड़ी ट्रैजेडी यह नहीं है…
सबसे बड़ी ट्रैजेडी है — उनकी अपनी ही विरासत का भूल जाना।**
ऋतिक के पूर्वज लाहौर–गुंजरावाला रीजन से आये थे।
क्यों आये थे?
क्योंकि वहाँ 1930–40 के दौर में
इस्लामिक रेडिकल समूहों ने हिंदुओं-सिखों पर टारगेटेड हिंसा चलाई थी।
घर लूटे गए।
लड़कियों का अब्डक्शन हुआ।
मंदिर तोड़े गए।
लोगों को मजबूरन अपनी ज़मीन, घर, इतिहास सब छोड़कर भागना पड़ा।
यह कोई “शांतिपूर्ण माइग्रेशन” नहीं था।
यह एक Forced Exodus था।
और इसी हिंसा का सीधा शिकार था ऋतिक का अपना परिवार।
अब सोचिए —
जिस परिवार को पाकिस्तान की इस्लामिस्ट हिंसा ने उखाड़कर फेंक दिया…
उसकी तीसरी पीढ़ी आज उसी पाकिस्तान के लिए “Soft Corner” दिखाए?
इतिहास का ऐसा भी मज़ाक नहीं होना चाहिए।
🔥 यह क्या है? Psychological Pattern — Internalised Oppression
Pablo Freire नाम के साइकोलॉजिस्ट ने एक कॉन्सेप्ट बताया —
Internalised Oppression
जब कोई समूह लगातार एक डॉमिनेंट नैरेटिव सुनता रहता है…
तो वह उसी नैरेटिव का प्रोडक्ट बन जाता है।
उसे लगता है —
“सच बोलना गलत है।”
“कड़वी बात बोलना Extremism है।”
“Neutral दिखना आवश्यक है।”
ऋतिक इसी बीमारी का क्लासिक उदाहरण हैं।
**🔥 लेकिन असली कहानी ऋतिक नहीं हैं…
असली कहानी है — भारत की जनता जाग चुकी है।**
यह 90s का भारत नहीं है।
यह 2000s का confused भारत नहीं है।
यह 2020s का Bharat है —
जहाँ Youth data पढ़ता है, reports पढ़ता है, geopolitics समझता है।
यह youth जानता है —
पाकिस्तान Missunderstood नहीं है।
पाकिस्तान दुनिया की सबसे बड़ी Terror Factory है।
यह youth जानता है —
बॉलीवुड का soft-portrayal Art नहीं था…
Agenda था।
यह youth जानता है —
National Security “Right-wing Emotion” नहीं है…
Survival का सवाल है।
और यही वजह है कि
जब धुरंधर ने पाकिस्तान को Naked Truth में दिखाया…
तो Youth ने कहा —
“डांस हमें बाद में दिखा देना ऋतिक,
पहले देश की हकीकत साफ़ करो।”
🔥 असली सवाल: क्या भारत को ऐसे ‘Selective Morality’ वाले सितारों की ज़रूरत है?
ऋतिक टैलेंटेड हैं, मेहनती हैं, अच्छे इंसान भी होंगे।
लेकिन जब बात राष्ट्रीय सत्य की हो…
तो softness, neutrality, balance — यह तीनों धोखा बन जाते हैं।
क्योंकि जो चीज़ पाकिस्तान को Uncomfortable करती है,
वही चीज़ भारत को Safe बनाती है।
और भारत अब यही clarity चाहता है।
🔥 निष्कर्ष: धुरंधर ने बॉलीवुड की 30 साल पुरानी बीमारी पर सीधा सर्जिकल स्ट्राइक किया है
और इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद
कुछ लोगों को घाव हुआ है…
कुछ को जलन हुई है…
और कुछ को सच की गर्मी से Burnol की ज़रूरत है।
ऋतिक उसी camp में खड़े नज़र आए।
लेकिन यह उनकी नहीं —
उनकी सोची-समझी conditioning की गलती है।
🔥 मैं, Tandavacharya Sunīl Chaudhari, इतना ही कहूँगा —
मित्रों,
भारत अब Emotions से नहीं…
Evidence से चलता है।
आज का भारतीय Youth किसी भी Actor से बड़ा Thinker है।
और यह Generation किसी भी झूठे Moral-lecture को
अब Reject कर देती है।
धुरंधर ने सिर्फ पाकिस्तान नहीं…
बॉलीवुड की Fake Neutrality को भी एक्सपोज किया है।
🔥 और अंत में… मेरी आपसे दो बातें
👉 यदि आप Digital Empire बनाना चाहते हैं —
“Create Your Digital Empire, Join Career Building School.”
👉 यदि आप Digital Coach बनना चाहते हैं —
“Build Your Digital Empire, Join CBS Tejasvi.”
भारत को clarity चाहिए, courage चाहिए, consistency चाहिए।
और यही मैं अपने सारे विद्यार्थियों को सिखाता हूँ।
**जय सनातन 🚩
वंदे मातरम् 🇮🇳**
✨ Tandav Coach – Acharya Sunīl Chaudhari 🔱
✨ India’s Only Digital Success Coach with Full Support 💻
✨ Founder – JustBaazaar & Career Building School 🏢
✨ Author – “Power of Thoughtful Action” 📘
✨ Top Digital Marketing Expert & Best SEO Expert in India 🌐
✨ MiLifestyle Leader | Sanatani DeshSevak | Global Citizen 🌏🕉️
✨ #TandavShow | #KootNeeti 🔥🇮🇳






