दिल्ली के मद्य नीति मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे की धक्के-बाजी की है, जबकि उनकी सरकार को हाईकोर्ट ने नवंबर में गिरफ्तारी के निर्देश जारी किए थे।
केजरीवाल की दिल्ली सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, जिसमें उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने अपने निर्देशों में किया गया था कि धारा 33 पूरी तरह से निर्धारित नहीं करती, जिससे मद्य नीति के पालन में कठिनाई हो रही है।
हाईकोर्ट ने उनकी सरकार के खिलाफ निर्देश जारी किए थे कि यदि कोई व्यक्ति मद्य बेचते समय 21 साल के या उससे कम आयु के युवाओं को समझाने की कोई कोशिश नहीं करता, तो उसे कोर्ट में गिरफ्तार किया जाए।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद, केजरीवाल की सरकार ने उनके विरोध में एक संयुक्त परिषद बैठक बुलाई, जिसमें मद्य नीति के संबंध में उनके वकीलों और विशेषज्ञों को सलाह दी गई।
सीएम केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी निर्देश को नकारा, कहा कि यह समय से पहले और अनायानुयायी है। उन्होंने कहा कि यह निर्देश अधिकांश मद्य दुकानों को बंद कर देगा और लाखों लोगों को अनेकता के लिए अनिवार्य रूप से अनायानुयायी है।
केजरीवाल ने कहा, “हमें लगता है कि हमें एक संवेदनशील मद्य नीति की जरूरत है, लेकिन इसे अटूट संविधान और संविधान के मूल्यों के अनुसार तैयार किया जाना चाहिए।”
उन्होंने इसे नागरिकों के हित में नहीं माना और कहा कि सरकार के द्वारा देश के गठन से जुड़े सभी निर्णयों को सुप्रीम कोर्ट में देना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करने के लिए अगले हफ्ते को मंगाया है। दिल्ली के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आगे की कार्रवाई की जा सकती है।