भाजपा जाति जनगणना के लिए ठंडी, नीतीश कुमार ने मांग को पीछे की ओर डाला, कार्यक्रमों और दौरों को वापस ले लिया।

भाजपा जाति की जनगणना के प्रति उदासीन है, नीतीश कुमार ने मांग को पीछे की ओर धकेल दिया है, इवेंट्स और टूर्स को वापस ले लिया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जाति आधारित जनगणना को लेकर एक ठंडा स्थिति को दर्ज किया है, जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस मामले को पीछे की ओर धकेल दिया है और अपने कार्यक्रमों और दौरों को वापस ले लिया है।

बीजेपी ने अब हाल ही में आयोजित की गई बैठक में इस मुद्दे पर नीति नहीं बनाई है, जिससे दिखाई देता है कि पार्टी इसे अभी भी विवादास्पद मान रही है। जाति आधारित जनगणना की मांग को लेकर नीतीश कुमार का साहसिक रुख सामने आया है, लेकिन भाजपा ने इसे अभी तक गंभीरता से नहीं लिया है।

नीतीश कुमार के बयानों के बाद, जिनमें उन्होंने कहा कि बिहार के लिए जाति आधारित जनगणना अत्यंत महत्वपूर्ण है, भाजपा ने इस मुद्दे को अभी तक गंभीरता से नहीं लिया है। भाजपा की इस रवैये को लेकर सामाजिक और राजनीतिक विपक्ष ने आलोचना की है।

नीतीश कुमार ने पिछले कुछ हफ्तों में बीजेपी के साथ कई मुद्दों पर टकराव का सामना किया है, जिसमें जाति आधारित जनगणना भी शामिल है। नीतीश कुमार का कहना है कि बिहार के लिए जाति आधारित जनगणना कराना बेहद आवश्यक है, क्योंकि यह पारंपरिक रूप से बिहारी समाज की समृद्धि और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

इस बीच, भाजपा ने जाति आधारित जनगणना को लेकर अपना स्टैंड स्पष्ट नहीं किया है, और इसे लेकर अभी भी स्पष्टता नहीं आई है कि पार्टी क्या राय रखती है। नीतीश कुमार के बयानों के बाद, जिनमें उन्होंने जाति आधारित जनगणना को लेकर सरकार को दबाव डाला था, भाजपा के द्वारा इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।

नीतीश कुमार की इस मांग को लेकर अधिक वार्ता की जा रही है, और यह समय बताएगा कि भाजपा अंततः किस दिशा में मुद्दे को लेती है। तब तक, नीतीश कुमार की आवाज को महत्वपूर्ण रूप से सुना जा रहा है, जो जनता की मांगों को उठाने में निरंतर प्रयासरत रहते हैं।