“जब हिंडनबर्ग ने कुछ नहीं बिगाड़ा, तो ये छोटे-मोटे झूठे आरोप क्या बिगाड़ेंगे?”
ये बात शायद हर भारतीय निवेशक सोच रहा है, लेकिन जब $27 बिलियन की वैल्यू शेयर बाजार से फुर्र हो जाए, तो डर स्वाभाविक है। पर घबराइए नहीं, ये अडानी है, ‘हम गिरने के लिए नहीं, इतिहास बनाने के लिए पैदा हुए हैं!’
क्या है मामला?
अमेरिका के न्याय विभाग ने अडानी समूह पर आरोप लगाया है कि सौर ऊर्जा परियोजनाओं के ठेके हथियाने के लिए $265 मिलियन की रिश्वत दी गई। वाह अमेरिका! जो खुद दुनिया की सबसे बड़ी “लॉबीिंग इंडस्ट्री” चलाता है, वह अब रिश्वत पर नैतिकता का पाठ पढ़ा रहा है।
यह वही अडानी हैं, जिनके शेयर हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद 70% तक गिरे थे। लेकिन 6 महीने बाद ही वे नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए। जितना गिराओ, उतना ऊंचा उड़ेगा – इसे ग्रेविटी चैलेंजर कहते हैं।
अमेरिका का असली खेल क्या है?
बाइडेन सरकार शायद यह भूल गई है कि अडानी उस देश से हैं जहां की कहावत है, “सौ हाथी भी एक चींटी का रास्ता नहीं रोक सकते!”
सवाल ये है कि बाइडेन और उनके समर्थक अडानी के पीछे क्यों पड़े हैं?
- ऊर्जा क्षेत्र में वर्चस्व: अडानी दुनिया के सबसे बड़े सोलर एनर्जी प्लेयर्स में से एक हैं।
- भू-राजनीतिक चालें: भारत का उभरता दबदबा शायद अमेरिका को रास नहीं आ रहा।
- डोनाल्ड ट्रंप का आना: ट्रंप ने 2025 की चुनावी हवा के साथ वापसी की तैयारी कर ली है। अगर ट्रंप आते हैं, तो शायद बाइडेन को अडानी का नाम भूलना पड़े।
इतिहास से सीख: अडानी क्यों नहीं रुकेंगे?
अगर इतिहास में झांके, तो आपको अडानी का अद्वितीय ट्रैक रिकॉर्ड दिखेगा।
- 1998 का कांड: कच्छ के बंदरगाह प्रोजेक्ट में आर्थिक संकट। सबने कहा, “खत्म हो गए,” लेकिन अडानी ने जवाब दिया, “अभी तो शुरुआत है।” आज, मुंद्रा पोर्ट भारत का सबसे बड़ा पोर्ट है।
- 2008 की मंदी: जब दुनिया के बाजार डूब रहे थे, अडानी ने कोयला खदानों में निवेश कर अपने व्यापार का विस्तार किया।
- हिंडनबर्ग रिपोर्ट, 2023: “स्टॉक डाउन हुआ, लेकिन कंपनी डाउन नहीं हुई।” यही कहते हैं असली विजेता।
सबक: अडानी सिर्फ “सफल” नहीं हैं, वे “अनहिल” हैं।
क्या निवेशकों को डरना चाहिए?
जो निवेशक घबरा रहे हैं, उन्हें एक संदेश:
“डर के आगे ही रिटर्न्स हैं!”
बाजार के खिलाड़ी जानते हैं कि गिरावट खरीदारी का मौका है। जो बिक रहा है, वह सस्ता हो रहा है। और अडानी जैसे नाम हमेशा वापसी करते हैं।
सरकार का सपोर्ट, घरेलू बाजार में निवेशकों का भरोसा, और अडानी की पुनरुत्थान की क्षमता – इन तीन चीजों को कोई अमेरिका का आरोप नहीं हिला सकता।
कैसे करेंगे अडानी वापसी?
- स्टॉक्स बायबैक: यह शेयरधारकों का भरोसा वापस पाने का अचूक तरीका है।
- फोकस ऑन ग्रीन एनर्जी: सोलर एनर्जी में अडानी का निवेश बढ़ेगा।
- नए प्रोजेक्ट्स: अडानी अफ्रीका और एशिया में नई परियोजनाएं लाएंगे।
- मार्केट का जवाब: जब हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद निवेशकों को 200% का रिटर्न मिला, तो यह आरोप उन्हें डबल ग्रोथ का मौका देगा।
हास्य और व्यंग्य का तड़का:
- अमेरिका: “हम अडानी को रोकेंगे।”
अडानी: “कब तक?” - बाइडेन: “यह रिश्वत का मामला बड़ा है।”
अडानी: “हमारे यहां इसे ‘प्रेरणा शुल्क’ कहते हैं।” - डोनाल्ड ट्रंप: “मैं आ रहा हूं, अडानी के शेयर के साथ।”
अंत में:
“गिरने से डरते वे हैं, जो खड़े होने की हिम्मत नहीं रखते।”
अडानी का इतिहास और उनकी योजनाएं दिखाती हैं कि वे न केवल वापसी करेंगे, बल्कि इतिहास फिर से लिखेंगे।
अब निवेशकों के लिए सलाह:
“धैर्य रखें। जितना गिरा है, उतना उठेगा। और जब अडानी उठता है, तो निवेशकों के पोर्टफोलियो का वजन बढ़ता है।”
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