AQI का पूरा नाम Air Quality Index (वायु गुणवत्ता सूचकांक) है। यह एक संख्या-आधारित मानक है, जिसका उपयोग किसी क्षेत्र की वायु गुणवत्ता को मापने और उसकी स्थिति को समझने के लिए किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य आम जनता को यह जानकारी देना है कि उनकी हवा कितनी शुद्ध या प्रदूषित है और उनके स्वास्थ्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है।
AQI कैसे काम करता है?
AQI को विभिन्न प्रदूषकों के स्तर के आधार पर गणना किया जाता है। इन प्रदूषकों में शामिल हैं:
- PM2.5 (पार्टिकुलेट मैटर 2.5) – यह 2.5 माइक्रोमीटर या इससे छोटे आकार के कण होते हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकते हैं।
- PM10 (पार्टिकुलेट मैटर 10) – यह 10 माइक्रोमीटर तक के धूल और धुएं के कण होते हैं।
- NO2 (नाइट्रोजन डाइऑक्साइड) – यह वाहनों और औद्योगिक गतिविधियों से निकलने वाली गैस है।
- SO2 (सल्फर डाइऑक्साइड) – यह कोयले और तेल के जलने से उत्पन्न होती है।
- CO (कार्बन मोनोऑक्साइड) – यह वाहन और अन्य ईंधन-जलने वाली गतिविधियों से निकलती है।
- O3 (ओजोन) – यह वायुमंडल में उपस्थित गैस है जो सूर्य के प्रकाश और प्रदूषकों की प्रतिक्रिया से बनती है।
AQI के स्तर और उनके प्रभाव
AQI को विभिन्न श्रेणियों में बांटा गया है, जिससे आम लोग आसानी से समझ सकें कि वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य पर कैसा प्रभाव डाल सकती है।
AQI स्तर | वर्णन | रंग कोड | प्रभाव |
---|---|---|---|
0-50 | अच्छा | हरा | कोई स्वास्थ्य जोखिम नहीं |
51-100 | संतोषजनक | पीला | संवेदनशील लोगों को हल्की परेशानी हो सकती है |
101-200 | मध्यम | नारंगी | दमा और हृदय रोगियों के लिए हानिकारक |
201-300 | खराब | लाल | सांस लेने में कठिनाई, बच्चों और बुजुर्गों को ज्यादा खतरा |
301-400 | बहुत खराब | बैंगनी | गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं, घर के अंदर रहने की सलाह |
401-500 | खतरनाक | गहरा भूरा | स्वास्थ्य आपातकाल, सभी के लिए खतरनाक |
AQI की गणना कैसे की जाती है?
AQI की गणना करने के लिए एक फॉर्मूला होता है जिसमें हर प्रमुख प्रदूषक के लिए निर्धारित सीमा और उसके प्रभाव को ध्यान में रखा जाता है।
सूत्र:
📌 प्रत्येक प्रदूषक का अलग-अलग उप-इंडेक्स निकाला जाता है।
📌 इन उप-इंडेक्सों में से सबसे अधिक मूल्य वाला AQI निर्धारित करता है।
सरल शब्दों में, यदि PM2.5 का स्तर बहुत अधिक है, तो समग्र AQI उसी के अनुसार अधिक होगा, भले ही अन्य प्रदूषक कम हों।
भारत में AQI की स्थिति
भारत में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुकी है, खासकर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और अन्य महानगरों में। हर साल सर्दियों में AQI का स्तर “बहुत खराब” से “खतरनाक” तक पहुंच जाता है।
मुख्य कारण:
✅ वाहनों से निकलने वाला धुआं
✅ उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषक
✅ कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन की धूल
✅ फसलों की पराली जलाने से उत्पन्न धुआं
AQI सुधारने के लिए उपाय
AQI को सुधारने के लिए सरकार, उद्योगों और आम नागरिकों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
✔️ बीएस-6 वाहनों का प्रोत्साहन
✔️ इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर
✔️ उद्योगों पर कड़े पर्यावरणीय नियम
✔️ पराली जलाने पर रोक लगाने के उपाय
व्यक्तिगत स्तर पर क्या करें?
✔️ सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करें
✔️ अधिक पेड़ लगाएं
✔️ अनावश्यक वाहनों का उपयोग कम करें
✔️ मास्क पहनें, खासकर ज्यादा प्रदूषण वाले दिनों में
✔️ एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें
निष्कर्ष
AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) एक महत्वपूर्ण सूचक है जो हमें बताता है कि हमारी हवा कितनी साफ या प्रदूषित है। यदि AQI का स्तर अधिक है, तो यह हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्या पैदा कर सकता है। इसके समाधान के लिए सरकार और आम जनता को मिलकर कदम उठाने होंगे ताकि हम एक स्वस्थ और स्वच्छ पर्यावरण बना सकें।
आपकी वायु गुणवत्ता कैसी है?
✅ AQI की जांच करने के लिए आप विभिन्न वेबसाइटों और मोबाइल एप्स का उपयोग कर सकते हैं, जैसे CPCB (Central Pollution Control Board) ऐप या SAFAR (System of Air Quality and Weather Forecasting and Research)।
अपने शहर की हवा को साफ रखने के लिए आज ही योगदान दें! 🌿💚