“बीरबल की अजब चुनौती: आधी रोटी का राज”
कहानी:
एक दिन अकबर दरबार में बैठे-बैठे ऊब गए और उन्होंने सभी दरबारियों को एक चुनौती दी। उन्होंने कहा, “जो कोई भी मेरे इस सवाल का जवाब देगा, उसे मैं बड़ा इनाम दूंगा। सवाल यह है कि एक रोटी को आधा कैसे किया जाए ताकि दोनों हिस्से बराबर हों लेकिन दिखें न।”
दरबारी यह सुनकर सोच में पड़ गए। सबके दिमाग में तरह-तरह के जवाब आए, लेकिन कोई भी अकबर को संतुष्ट नहीं कर पाया।
अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल, क्या तुम इस सवाल का जवाब दे सकते हो?”
कहानी:
बीरबल मुस्कुराते हुए खड़ा हुआ और बोला, “जहाँपनाह, इसका जवाब देने के लिए मुझे कुछ समय चाहिए।” अकबर ने बीरबल को एक दिन का समय दिया।
अगले दिन बीरबल ने दरबार में एक थाली लेकर हाजिर हुआ, जिसमें एक ताज़ा पकी हुई रोटी रखी थी।
बीरबल ने रोटी को उठाया और सबके सामने बीच में से तोड़ दी, लेकिन दोनों हिस्सों को छुपा लिया। फिर अकबर से कहा, “जहाँपनाह, यह देखिए, मैंने रोटी को आधा कर दिया है, लेकिन इसे किसी ने नहीं देखा।”
अकबर ने हंसते हुए कहा, “बीरबल, तुमने रोटी को सिर्फ़ छुपा लिया, असल में तुमने जवाब नहीं दिया।”
बीरबल ने मुस्कराते हुए कहा, “जहाँपनाह, यही तो सवाल का राज़ था। जो चीज़ आधी हो जाती है, उसे हम देख सकते हैं, लेकिन अगर उसे समझदारी से छुपा लिया जाए, तो वह बराबर होने के बाद भी दिखती नहीं। यह सब हमारी दृष्टि पर निर्भर करता है।”
मोरल:
इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि समझदारी और दृष्टिकोण से किसी भी समस्या का हल निकाला जा सकता है। चीजें वैसी ही होती हैं जैसी हम उन्हें देखते हैं।
इस प्रकार, बीरबल ने अपनी सूझबूझ से अकबर की अजब चुनौती का जवाब देकर सभी को हंसाया और एक नई सीख दी।