कहानी:

एक दिन अकबर के दरबार में एक व्यापारी आया और कहा, “जहाँपनाह, मेरी संपत्ति चोरी हो गई है। मुझे न्याय चाहिए।”

अकबर ने तुरंत बीरबल को बुलाया और मामले की जांच करने को कहा।

बीरबल ने सभी दरबारियों को बुलाया और कहा, “जो भी इस चोरी में शामिल है, वो मेरे पास आकर सच बोल दे।”

किसी ने भी आगे आकर कुछ नहीं कहा। बीरबल ने फिर एक तरकीब सोची।

कहानी:

बीरबल ने सभी दरबारियों को एक-एक लकड़ी का टुकड़ा दिया और कहा, “ये जादुई लकड़ी है। जो भी चोर होगा, उसकी लकड़ी कल तक एक इंच बड़ी हो जाएगी।”

दरबारी यह सुनकर चौंक गए। सभी अपनी-अपनी लकड़ी लेकर घर चले गए।

अगले दिन, सभी दरबारियों ने अपनी लकड़ी लौटाई। बीरबल ने देखा कि एक दरबारी की लकड़ी एक इंच छोटी हो गई थी।

बीरबल ने तुरंत उसे चोर घोषित कर दिया। अकबर ने आश्चर्यचकित होकर पूछा, “बीरबल, तुमने ये कैसे पता लगाया?”

बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “जहाँपनाह, चोर ने डर के मारे रात में अपनी लकड़ी को एक इंच काट दिया, ताकि वह बड़ी न हो जाए। लेकिन सच्चाई छिप नहीं सकी।”

मोरल:

इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि सच्चाई हमेशा सामने आ जाती है, चाहे कोई कितना भी उसे छिपाने की कोशिश करे। बीरबल की सूझबूझ ने एक बार फिर साबित कर दिया कि चतुराई से हर समस्या का समाधान किया जा सकता है।

इस प्रकार, बीरबल ने अपनी बुद्धिमानी से अकबर के सामने सच्चाई को उजागर कर दिया।