2019 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बसपा और रालोद से मिलकर चुनाव लड़ा था। इस संयुक्त दल के साथ, प्रदेश के पश्चिमी और पूर्वी भागों में कुछ सीटों पर भाजपा को मुकाबला किया था।

2024 के लोकसभा चुनाव: सपा ने बीजेपी के खिलाफ इन दलों से आशा की, पर पुराने निर्णयों का कोई असर नहीं हो सका।

2024 के लोकसभा चुनाव में, समाजवादी पार्टी फिर से कांग्रेस के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरने की उम्मीद कर रही है, जैसा कि पिछले तीन चुनावों में की थी। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के तहत मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश में, सपा 62 और कांग्रेस 17 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी।

सपा ने भदोही की सीट को तृणमूल कांग्रेस को देने का फैसला किया है। पिछले चुनावों में समाजवादी पार्टी ने बसपा और रालोद के साथ और 2022 के विधानसभा चुनाव में रालोद, सुभासपा, अपना दल कमेरावादी और अन्य दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।

पिछले लोकसभा चुनाव में, सपा और बसपा ने मिलकर भाजपा को कुछ सीटों पर टक्कर दी थी, लेकिन उनका असर काफी कम रहा था। बसपा को 10 सीटों और सपा को 5 सीटों पर सफलता मिली थी, जबकि रालोद को कोई सीट नहीं मिली थी। इस बार, बसपा ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। अब, सपा और कांग्रेस का प्रदर्शन भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के रथ को रोकने पर निर्भर होगा।

इंडिया गठबंधन की चुनौती

इंडिया गठबंधन के साथ इस बार मुकाबला और भी दिलचस्प हो सकता है, क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोकदल और सुभासपा जैसी कई पार्टियां भी वहाँ अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के साथ गठबंधन की चुनौती दे सकती हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने राज्य की 80 सीटों में से 73 पर जीत हासिल की थी।

हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को कुछ नुकसान हुआ और उसे 62 सीटें मिलीं। उसके साथी अपना दल को दो सीटों पर कामयाबी हासिल हुई थी। सपा-बसपा गठबंधन ने 15 और कांग्रेस ने एक सीट जीती थी। पश्चिमी क्षेत्र में, उत्तर प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबसे अधिक 23 सीटें मिली थीं।

इन सीटों पर जीती बीएसपी
बसपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा और नगीना (एससी) सीटें जीती थीं जबकि सपा संभल, मुरादाबाद, मैनपुरी और रामपुर में विजयी हुई. मध्य क्षेत्र: राज्य के मध्य क्षेत्र में अमेठी और रायबरेली प्रमुख संसदीय क्षेत्र हैं. दोनों लंबे समय से कांग्रेस के गढ़ माने जाते रहे हैं. साल 2019 में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी रायबरेली सीट बरकरार रखी थी लेकिन उनके बेटे राहुल गांधी अमेठी सीट केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से हार गए थे.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से जीते थे. बसपा ने मध्य क्षेत्र से अंबेडकर नगर के रूप में केवल एक सीट जीती थी. भाजपा ने इस क्षेत्र से 13 सीटें जीती थीं, जिसमें प्रतिष्ठित फैजाबाद लोकसभा सीट भी शामिल है. पूर्वी क्षेत्र: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी राज्य के पूर्वी हिस्से की 30 सीटों में शामिल है.

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र से बसपा ने पांच सीटें जीतीं थीं जबकि सपा ने आजमगढ़ के रूप में एक सीट और भाजपा के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने दो सीटें जीती थीं. बुन्देलखण्ड क्षेत्र: साल 2019 में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में भाजपा की जीत हुई थी. उसे झांसी, बांदा, हमीरपुर और जालौन-एससी की सभी चार लोकसभा सीटों पर कामयाबी मिली थी.