“बीरबल की सूझबूझ: जल के साथ जल”

कहानी:

  1. अकबर के दरबार में एक जमींदार आया और शिकायत की, “जहाँपनाह, मेरे खेतों में पानी की कमी हो गई है, और मेरे फसल सूख रही है।”
  2. अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल, इस समस्या का हल बताओ।”
  3. बीरबल ने जमींदार से कहा, “मैं एक योजना बनाऊँगा, लेकिन तुम्हें इसके लिए मेरा आदेश मानना होगा।”
  4. बीरबल ने जमींदार से कहा, “तुम्हें अपने खेतों में खाली घड़े भरकर रखने होंगे, और पानी तब ही डालना होगा जब घड़े पूर्ण हो जाएं।”
  5. जमींदार ने आदेश मान लिया और सभी घड़े खेतों में रख दिए।
  6. कुछ दिनों बाद बीरबल ने देखा कि घड़े भी अच्छे से भर चुके हैं और खेतों में पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो गई है।
  7. अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, तुमने यह कैसे किया?”
  8. बीरबल ने कहा, “जहाँपनाह, मैंने जानबूझकर घड़े रखवाए ताकि जमींदार खुद ही अपनी समस्याओं को समझ सके।”

मोरल:

समस्या का समाधान कभी-कभी खुद को समझने और जिम्मेदारी लेने से मिलता है।