“बीरबल की सूझबूझ: जल के साथ जल”
कहानी:
- अकबर के दरबार में एक जमींदार आया और शिकायत की, “जहाँपनाह, मेरे खेतों में पानी की कमी हो गई है, और मेरे फसल सूख रही है।”
- अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल, इस समस्या का हल बताओ।”
- बीरबल ने जमींदार से कहा, “मैं एक योजना बनाऊँगा, लेकिन तुम्हें इसके लिए मेरा आदेश मानना होगा।”
- बीरबल ने जमींदार से कहा, “तुम्हें अपने खेतों में खाली घड़े भरकर रखने होंगे, और पानी तब ही डालना होगा जब घड़े पूर्ण हो जाएं।”
- जमींदार ने आदेश मान लिया और सभी घड़े खेतों में रख दिए।
- कुछ दिनों बाद बीरबल ने देखा कि घड़े भी अच्छे से भर चुके हैं और खेतों में पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो गई है।
- अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, तुमने यह कैसे किया?”
- बीरबल ने कहा, “जहाँपनाह, मैंने जानबूझकर घड़े रखवाए ताकि जमींदार खुद ही अपनी समस्याओं को समझ सके।”
मोरल:
समस्या का समाधान कभी-कभी खुद को समझने और जिम्मेदारी लेने से मिलता है।
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