एक बार की बात है, बादशाह अकबर के दरबार में एक नया मंत्री नियुक्त हुआ। वह मंत्री अपने आप को बहुत बुद्धिमान और चतुर समझता था और हमेशा बीरबल को नीचा दिखाने की कोशिश करता था।

एक दिन उस मंत्री ने अकबर से कहा, “जहाँपनाह, मुझे लगता है कि बीरबल की बुद्धिमानी का नाम बस यूँ ही है। मैं उससे ज़्यादा समझदार हूँ।”

अकबर ने मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा, तो क्यों न हम इसकी परीक्षा ले लें?”

मंत्री ने चुनौती स्वीकार की और बीरबल को दरबार में बुलाया गया। अकबर ने कहा, “बीरबल, हम चाहते हैं कि तुम आज रात हमारे लिए सबसे स्वादिष्ट खीर बनाओ, लेकिन शर्त ये है कि तुम इसे ऐसे बर्तन में बनाओगे जो आग में ना जले।”

बीरबल ने थोड़ा सोचा और बोला, “जो हुक्म जहाँपनाह।”

दूसरी ओर, मंत्री मन ही मन खुश था कि अब बीरबल इस असंभव काम में फँस जाएगा।

अगले दिन सुबह, बीरबल दरबार में एक बड़ी मुस्कुराहट के साथ प्रवेश किया और कहा, “जहाँपनाह, खीर तैयार है।”

अकबर ने हैरानी से पूछा, “लेकिन तुमने खीर किस बर्तन में बनाई?”

बीरबल ने पर्दा हटाया तो सबने देखा कि खीर एक बड़े नारियल के खोल में थी। खीर की खुशबू पूरे दरबार में फैल गई।

अकबर ने खीर चखी और तारीफ करते हुए बोले, “वाह! ये तो सचमुच लाजवाब है। लेकिन ये बताओ, तुमने नारियल के खोल में खीर कैसे बनाई बिना उसे जलाए?”

बीरबल ने उत्तर दिया, “जहाँपनाह, मैंने नारियल के खोल को पानी से भरकर उसे उबाल दिया। पानी के कारण खोल नहीं जला और खीर भी पक गई।”

मंत्री ये सब देख कर शर्मिंदा हो गया और समझ गया कि बीरबल की बुद्धिमानी का कोई मुकाबला नहीं।

मोरल:

बुद्धिमानी से किसी भी मुश्किल काम को आसान बनाया जा सकता है। समस्याओं का हल ढूंढने के लिए दिमाग और धैर्य की जरूरत होती है, न कि घमंड की।

इस प्रकार, बीरबल ने अपनी चतुराई से फिर से साबित कर दिया कि सच्ची बुद्धिमानी हमेशा सरल और प्रभावी होती है।