“बीरबल की उलटी गिनती का रहस्य”
कहानी:
एक दिन अकबर दरबार में बैठे थे और सोच रहे थे कि कैसे बीरबल की बुद्धिमानी की परीक्षा ली जाए। उन्होंने बीरबल को बुलाया और कहा, “बीरबल, मुझे तुमसे एक अजीब काम करवाना है। मैं चाहता हूँ कि तुम आज रात पूरी दिल्ली में गिनती शुरू करो, लेकिन ध्यान रहे कि तुम्हें उलटी गिनती करनी है और सुबह होते ही मुझे बताना कि तुमने क्या गिना।”
बीरबल ने अकबर की बात सुनी और बिना कुछ बोले वहां से चला गया। दरबारियों को लग रहा था कि इस बार बीरबल कोई चालाकी नहीं कर पाएगा, लेकिन बीरबल के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था।
कहानी:
रात भर बीरबल ने पूरे शहर का चक्कर लगाया और सुबह होते ही अकबर के दरबार में हाजिर हुआ। अकबर ने उत्सुकता से पूछा, “बीरबल, तुमने क्या गिना?”
बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “जहाँपनाह, मैंने पूरे शहर की उलटी गिनती कर दी।”
अकबर ने चौंकते हुए कहा, “कैसे?”
बीरबल ने समझाया, “जहाँपनाह, मैंने हर उस काम को उलटा गिना जो लोगों ने गलती से किया था। मैंने देखा कि कितने लोग अपने समय का सही इस्तेमाल नहीं कर रहे थे, कितने लोग झूठ बोल रहे थे, और कितने लोग दूसरों की मदद करने के बजाय उल्टा नुकसान पहुंचा रहे थे। मेरी गिनती में सबसे ज्यादा वही लोग थे जो अपना वक्त बेकार की बातों में बर्बाद कर रहे थे।”
अकबर बीरबल की बातों को सुनकर हैरान रह गए और बोले, “बीरबल, तुमने सही मायने में लोगों की असलियत को गिन लिया है। यही असली उलटी गिनती है।”
मोरल:
इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि जीवन में समय और कर्म का सही इस्तेमाल करना ही असली गणना है। उलटी गिनती सिर्फ संख्याओं की नहीं, बल्कि हमारे गलतियों की भी होती है, जो हमें सुधार की तरफ ले जाती है।
इस प्रकार, बीरबल ने अपनी चतुराई से अकबर को दिखाया कि असली गिनती वह है जो हमारे कर्मों को मापती है।