“बीरबल और अदृश्य इनाम”

कहानी:

एक दिन अकबर ने सोचा कि क्यों न बीरबल की बुद्धिमानी की एक और परीक्षा ली जाए। उन्होंने बीरबल को बुलाया और कहा, “बीरबल, मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे एक ऐसा इनाम लाकर दो जिसे मैं देख न सकूं, लेकिन उसकी अहमियत बहुत हो।”

बीरबल ने अकबर के इस सवाल पर सिर हिलाया और बोला, “जहाँपनाह, मैं इस काम को जरूर पूरा करूंगा, लेकिन इसके लिए मुझे थोड़ी मोहलत चाहिए।”

अकबर ने उसे तीन दिन का समय दिया।

कहानी:

बीरबल ने तीन दिन सोच-विचार किया और फिर तीसरे दिन अकबर के सामने पेश हुआ। उसने अकबर से कहा, “जहाँपनाह, मैंने वह इनाम ढूंढ लिया है जो आप देख नहीं सकते, लेकिन उसकी कीमत अनमोल है।”

अकबर ने उत्सुकता से पूछा, “वह क्या है, बीरबल?”

बीरबल ने उत्तर दिया, “जहाँपनाह, वह इनाम है—आपकी प्रजा का विश्वास और प्रेम।”

अकबर ने हैरान होकर कहा, “यह कैसे संभव है?”

बीरबल ने समझाया, “जहाँपनाह, प्रजा का विश्वास और प्रेम ही वह इनाम है जो आप देख नहीं सकते, लेकिन उसकी अहमियत इतनी ज्यादा है कि उसके बिना कोई भी राजा अपनी सत्ता और सम्मान बनाए नहीं रख सकता। यह अदृश्य है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है।”

अकबर ने बीरबल की बातों से सहमत होते हुए कहा, “बीरबल, तुमने एक बार फिर साबित कर दिया कि तुम्हारे जैसा बुद्धिमान कोई नहीं है।”

मोरल:

इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीजें अक्सर आँखों से दिखाई नहीं देतीं, लेकिन उनका महत्व अपार होता है। विश्वास और प्रेम ऐसी ही अनमोल चीजें हैं जिन्हें सहेज कर रखना चाहिए।

इस प्रकार, बीरबल ने अपनी बुद्धिमानी से अकबर को सिखाया कि जीवन में सबसे कीमती चीजें वे होती हैं जो दिखती नहीं, लेकिन महसूस की जाती हैं।

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