मादक पदार्थ निषेध दिवस का महत्व
आज मादक पदार्थ निषेध दिवस पर एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। यह दिन हमें नशे के खतरों और इससे होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक करता है। अंतरराष्ट्रीय नशा निवारण दिवस पर, हम नशे की लत के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होते हैं और समाज को इस बुराई से मुक्त करने का संकल्प लेते हैं।
नशेबाजी के आंकड़े और प्रभाव
नशा निवारण दिवस के अवसर पर प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के अनुसार, नशेबाजों में 60 फीसदी लोग 16-40 साल के उम्र वर्ग के होते हैं। इनमें से आधे शराब के आदी होते हैं, जबकि 35% लोग अफीम, स्मैक, और गांजा जैसी मादक पदार्थों का सेवन करते हैं। शेष 15% लोग एमडीएमए और ब्राउन शुगर जैसी खतरनाक ड्रग्स के आदी होते हैं। यह आंकड़े हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि नशा किस प्रकार हमारे समाज को नुकसान पहुंचा रहा है।
संगोष्ठी के मुख्य बिंदु
आज की संगोष्ठी में विशेषज्ञों द्वारा नशे के दुष्प्रभावों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। इसमें नशा निवारण के उपाय, नशे की लत से मुक्ति के तरीके, और पुनर्वास केंद्रों की भूमिका पर भी रोशनी डाली जाएगी। यह संगोष्ठी विशेष रूप से युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करने का प्रयास करेगी।
समाज की भूमिका
नशा निवारण में समाज की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। परिवार, मित्र, और समाज के सभी वर्गों को मिलकर नशे के खिलाफ जागरूकता फैलानी चाहिए। इस दिशा में संगोष्ठी जैसे आयोजन एक महत्वपूर्ण कदम हैं, जो हमें नशे के खिलाफ मजबूती से खड़ा होने के लिए प्रेरित करते हैं।