“बीरबल की बुद्धि: एक मुट्ठी आटा”
कहानी:
- एक दिन अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल, मुझे ऐसा काम बताओ जो राजा और रंक दोनों कर सकें।”
- बीरबल ने कहा, “जहाँपनाह, जवाब कल मिलेगा।”
- अगले दिन बीरबल ने सभी दरबारियों को एक-एक मुट्ठी आटा दिया।
- बीरबल ने कहा, “इस आटे को घर ले जाओ और इसे संभालकर रखो।”
- कुछ दिन बाद अकबर ने सबको आटा लौटाने को कहा।
- सभी दरबारियों का आटा खराब हो गया था, पर बीरबल का आटा सही था।
- अकबर ने पूछा, “बीरबल, तुम्हारा आटा कैसे ठीक रहा?”
- बीरबल ने हंसकर कहा, “जहाँपनाह, मैंने आटे की रोटियां बनाकर खा लीं।”
- अकबर समझ गए कि समय का सही उपयोग ही सबसे बड़ी समझदारी है।
मोरल:
हर इंसान को अपनी समस्याओं को समझदारी से हल करना चाहिए।