“बीरबल की बुद्धि: एक मुट्ठी आटा”

कहानी:

  1. एक दिन अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल, मुझे ऐसा काम बताओ जो राजा और रंक दोनों कर सकें।”
  2. बीरबल ने कहा, “जहाँपनाह, जवाब कल मिलेगा।”
  3. अगले दिन बीरबल ने सभी दरबारियों को एक-एक मुट्ठी आटा दिया।
  4. बीरबल ने कहा, “इस आटे को घर ले जाओ और इसे संभालकर रखो।”
  5. कुछ दिन बाद अकबर ने सबको आटा लौटाने को कहा।
  6. सभी दरबारियों का आटा खराब हो गया था, पर बीरबल का आटा सही था।
  7. अकबर ने पूछा, “बीरबल, तुम्हारा आटा कैसे ठीक रहा?”
  8. बीरबल ने हंसकर कहा, “जहाँपनाह, मैंने आटे की रोटियां बनाकर खा लीं।”
  9. अकबर समझ गए कि समय का सही उपयोग ही सबसे बड़ी समझदारी है।

मोरल:

हर इंसान को अपनी समस्याओं को समझदारी से हल करना चाहिए।