“बीरबल का न्याय: चार सिक्कों की कीमत”

कहानी:

  1. एक दिन एक किसान दरबार में आया और बोला, “जहाँपनाह, इस व्यापारी ने मुझसे फसल खरीदी और चार सिक्के कम दिए।”
  2. व्यापारी ने कहा, “जहाँपनाह, मैंने पूरे पैसे दिए हैं। यह मुझ पर झूठा इल्जाम लगा रहा है।”
  3. अकबर ने बीरबल से इस समस्या का हल निकालने को कहा।
  4. बीरबल ने दोनों को एक कमरे में बंद कर दिया और कहा, “जब तक सच नहीं बोलोगे, बाहर नहीं आ सकते।”
  5. थोड़ी देर बाद व्यापारी चिल्लाया, “मैंने ही चार सिक्के कम दिए थे। मुझसे गलती हो गई।”
  6. बीरबल ने दरवाजा खोला और अकबर से कहा, “सच का पता चल गया, जहाँपनाह।”
  7. अकबर ने व्यापारी को किसान के पैसे लौटाने और माफी मांगने का आदेश दिया।
  8. बीरबल की समझदारी से न्याय हुआ और किसान को उसका हक मिला।

मोरल:

सच छुपाने से नहीं, बल्कि कबूल करने से इंसान सही रास्ते पर आता है।

Watch Video

https://youtu.be/Q7Mf_T0M3HA