“बीरबल का न्याय: चार सिक्कों की कीमत”
कहानी:
- एक दिन एक किसान दरबार में आया और बोला, “जहाँपनाह, इस व्यापारी ने मुझसे फसल खरीदी और चार सिक्के कम दिए।”
- व्यापारी ने कहा, “जहाँपनाह, मैंने पूरे पैसे दिए हैं। यह मुझ पर झूठा इल्जाम लगा रहा है।”
- अकबर ने बीरबल से इस समस्या का हल निकालने को कहा।
- बीरबल ने दोनों को एक कमरे में बंद कर दिया और कहा, “जब तक सच नहीं बोलोगे, बाहर नहीं आ सकते।”
- थोड़ी देर बाद व्यापारी चिल्लाया, “मैंने ही चार सिक्के कम दिए थे। मुझसे गलती हो गई।”
- बीरबल ने दरवाजा खोला और अकबर से कहा, “सच का पता चल गया, जहाँपनाह।”
- अकबर ने व्यापारी को किसान के पैसे लौटाने और माफी मांगने का आदेश दिया।
- बीरबल की समझदारी से न्याय हुआ और किसान को उसका हक मिला।
मोरल:
सच छुपाने से नहीं, बल्कि कबूल करने से इंसान सही रास्ते पर आता है।
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