“बीरबल का न्याय: खोई हुई अंगूठी”
कहानी:
- एक दिन, अकबर अपनी अंगूठी को खोजते हुए चिंतित हो गए और दरबार में बोले, “मेरी अंगूठी गायब हो गई है।”
- दरबारी सभी परेशान हो गए और एक-दूसरे पर शक करने लगे।
- अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल, इस समस्या का समाधान करो।”
- बीरबल ने सभी दरबारियों को बुलाया और कहा, “एक बर्तन में पानी भर दो।”
- फिर उसने कहा, “अब सभी दरबारी अपनी अंगूठी इस पानी में डाल दें।”
- जैसे ही सभी ने ऐसा किया, बीरबल ने देखा कि एक दरबारी पानी में अपना हाथ छिपा रहा है।
- बीरबल ने उस दरबारी से पूछा, “तुम्हारा हाथ क्यों छिपा है?”
- दरबारी ने झिझकते हुए कहा, “मेरा हाथ ठंडा हो रहा है।”
- बीरबल ने कहा, “तुम्हारे ठंडे हाथ से साफ है कि तुमने मेरी अंगूठी चुराई है।”
- दरबारी ने अपनी गलती कबूल कर ली और अंगूठी लौटाई।
मोरल:
सच्चाई हमेशा सामने आ ही जाती है, चाहे कितनी भी कोशिश की जाए उसे छुपाने की।